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हमारे देश के न्यूज़ चैनल्स - News channels of India

क्या हमारे देश के न्यूज़ चैनल्स को अपनी जिन्मेदारी का एहसास हे?
क्या उन्हें पता हे के वोह सिर्फ़ न्यूज़ दिखा नही रहे, पर साथ साथ उस घटना या उस विषय पर अपना जजमेंट (फैसला) (judgment) भी सुना रहे हे! किसी भी विषय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले वोह स्थानिक लोगो की प्रतिक्रिया या पुरे भारत में अलग अलग लोगो की प्रतिक्रिया को मान नही देते। बस अपना विचार ख़ुद व्यक्त कर देते हे। क्या कभी वोह लोगो में पब्लिक ओपिनियन जानने की कोशिस करते हे?

न्यूज़ चैनल्स की ड्यूटी हे की वोह सिर्फ़ न्यूज़,घटना को दिखाए। ना की उसपे कोई फेसला सुनाये।

कुछ उदहारण:
१)

गुजरात इलेक्शंस से पहले नरेन्द्र मोदी के बारे में इसे बताया गया जेसे वोह कोई क्रिमिनल हे। उसने जो किया वोह बस एक क्राइम था। गुजरात की पब्लिक उसके साथ नही हे। पुरे दुनिया में उसने गुजरात का नाम बदनाम किया। जेसे के गुजरात में नरेन्द्र मोदी के आने से पहले कभी दंगे हुए ही नही थे। और ल्गुमती के लोगो पर बहोत अत्याचार किया। बाकी (हिंदू) लोग तो मरे ही नही। और मरे तो उन्हें एक्सीडेंट घोषित कर दिया गया। क्या पब्लिक को इतना उल्लू समजा हे इन न्यूज़ चैनल वालो ने? वाह रे मेरे देश की मीडिया।

इलेक्शन के बाद किधर गयी? सुना दिया न पब्लिक ने अपना फैसला? अब तो सुधर जाओ। गुजरात के लोगो की सुने तो इससे पहले दंगे तो कई हुए हे। हा यह नही होने चाहिए। लेकिन मीडिया वाले सिर्फ़ उन्ही न्यूज़ को कवर करते हे जहा माय्नोरिटी पे एक्शन होता हे। पर कोई यह नही दिखता के यह सब बोम्ब और हथियार आते कहा से हे? और क्यों वोह उन्हें अपने घर में रखते हे? वोह चाहे कोई भी जाती के लोग हो। बस पुलिश ने अत्यचार किया। कोई पुलिश मरेगा तो मानव अधिकार वाले नही आयेंगे।


२)

अभी अभी जो राज ठाकरे मुंबई में कर रहा हे। उसके बारे में पुरा सच कोई क्यों नही जानना चाहता। हा उसका तरीका ग़लत हे, पर वोह तो काफ़ी पुराना मुद्दा हे। कोई यह क्यों नही देखता के राज ठाकरे सिर्फ़ उत्तर भारती के बारे में बोल रहा हे। बाकी और भी देश के सब हिस्सों से लोग आके मुंबई बे बसे हे। उनसे राज को कोई प्रॉब्लम नही हे। अरे मेरे मीडिया वाले भाइयो थोड़ा समज ने की कोशिस तो करो। उसका कहना यही हे, के जिस तरीके से वोह लोग आ आ के बस रहे हे, उसकी कोई लिमिट होनी चाहिए। अगर वोह आते हे तो उन्हें मुंबई में रहना भी तो सीखना चाहिए। एसा नही के बस आ गए कही पे भी जुप्दपट्टी बना दी, और रह लिया। बस में, ट्रेन में केसे बैठते हे। लाइन में केसे खड़े रहते हे, यह सब समजाना पड़ता हे क्या? किसी भी देश में या प्रान्त में जाओ तो उधर के डिसिप्लिन तो फोल्लो करने ही पड़ेंगे। मुंबई में पहले से भीड़ हे, तो थोड़ा सोच समाज के अपने भाइयो को बुलाना चाहिए। कम से कम अपने ठीक से रहने का तो इन्तेजाम होना चाहिए। शहर को स्वच्छ रखना भी हमारी जिनमेदारी हे।

३)

Breaking News - इंडिया का टेस्ट स्कोर 330-7।
इनको कोई समजाये के टेस्ट मैच या कोई भी मैच में कुछ तो स्कोर होना ही हे। उसको ब्रेकिंग न्यूज़ नही कहते मेरे भाई। अब यह तो एक छोटे बच्चे को भी पता होता हे। आपने उसमे कोनसा तीर मार दिया यह न्यूज़ ढूढ़ के। वाह रे मेरे न्यूज़ चैनल वाले।

Breaking News उसको कहते हे, जो रोज रोज नही घटता । और जिसके घटने से ज्यादा से ज्यादा लोगो को फर्क पड़े ।

और भी बहोत से इस्सू हे.... जो मीडिया वालो को सिर्फ़ बताना चाहिए, फैसला ख़ुद समज के दिखाना ठीक नही हे। इससे लोगो की भावनाओ को भी ठेस पहोचती हे।


(में किसी भी पॉलिटिकल पार्टी से नही हु। में सिर्फ़ एक भारतीय हु, और बाद में एक गुजराती। मुझे गुजरात के बारे में सोचने का पुरा हक़ हे। उसी तराह बाकी राज्य में रहेते लोगो को भी अपने प्रान्त के बारे में सोचने का पुरा अधिकार हे। यह भारत हे, अमेरिका नही। यहाँ अलग अलग लोग अपने प्रान्त को उतना ही प्यार करते हे जितना अपने देश को। अगर किसी को अपने प्रान्त में गेर प्रांतीय लोगो का बर्ताव पसंद नही तो उसका पुर अधिकार हे के वोह विरोध व्यक्त करे। कुछ हद तक गेर्प्रन्तिया लोगो का होना ठीक हे, ज्यादा हो जाए तो कोई भी सोचने पे मजबूर हो जाएगा।)

1 comments:

  Anonymous

January 06, 2010 1:44 AM

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